Saturday 3 October 2015

----- ॥ टिप्पणी ८ ॥ -----



>> जिन्हें मंदिर में प्रवेश न मिले वे हज़ करें, मदीना जाएं..... यदि वहां भी प्रवेश न मिले तो फिर गिरजा घर जाएं.....
  
>> मुट्ठी भर लोगों की विलासिताओं का ऋण चुकता करते करते भारत वंशियों की न जाने कितनी पीढ़ियां खप जाएंगी....  

>>   गौ वंश किसानों की आर्थिक दशा सुदृढ़ करने में सहायक होता है, गौ-वंश की हत्या का अर्थ ही किसानों की हत्या । गौ-वंश के हत्यारे व् उनके समर्थक किसानों के हत्यारे हैं.....


>> राजू : -- ये पैसे वाले भी न कैसी कैसी बातें करतें हैं,आयकर विभाग  'इनको' कुछ नहीं कहता ?

" ऐ ! वो केवल मध्यम वर्ग का रक्त पीने के लिए बना हैं....."

>> पैसा व् सत्ता के लिए कुछ भी करने वालों से विश्व को भयभीत रहना चाहिए.....

>> ए  इस्नेच नरियात रथे.....? (यह ऐसे ही रेंकता रहता है क्या ? )  
     राजू : ह 
" ई दो ठो गारी हे " 
राजू : -- कब कब देना हे मास्टरजी ? 
" एक चुनाउ के पहले दूसर चुनाउ के बाद....." 

>> ऐसी टिकलियाँ तो हमरे देश मा फूटती ही रहती हैं.....
>> जदि टी बी देख के शासन चलाना बंद नहीं करेंगे तो बची-खुची साइनिंग भी जाती रहेगी.....
>> वर्तमान समय में इस्लाम " सारी कायनात हमारी है" की तर्ज पर साम्राज्यवाद की ओर बढ़ रहा है, और भारत सहस्त्र वर्षों वाली दासता की ओर बढ़ रहा है.....

साम्राज्यवाद = एक राष्ट्र को अधिकार में लेकर उसे अपने हित का साधन बनाने वाला सिद्धांत.....

>> ये देश कभी गौशाला हुव करता था, इन जैसे सत्ता के लालचियों ने इसे कसाई खाना बना के रख दिया है.....

>>  इस देश को खंड-खंड करके इस्लामिक देश बनाते जाएंगे ये पठान की औलाद.....

>> सत्ताधारी दल चाहते हैं कि वे इस धरती को दास बंनाने वालों के साथ मिलकर अत्याचार करते रहें, अनाचार करते रहें, भ्रष्टाचार करते रहें, यह धरती और उसकी संतान उसे चुपचाप सहती रहे, नहीं सहेगी तो ये दल आपस में षड़यंत्र रचकर गला दबा के उसकी बोलती बंद कर देंगे.....

और हाँ : -- कुत्त्ते तो इस देश में भी मिलते है,  और कुत्ते क्या नहीं खाते.....

>> आया जीता किसी का पिउ..,
      किसी के घर पैट्रोल पम आया.....

>> रक्त दान तब जब ग्राही किसी का जीवन न ले.....

>> नरभक्षण भी हो रहा हो तो आश्चर्य नहीं होगा.....यह विकासराज है कि दानव राज.....

>> इस पांचवीं में पांच बार अनुत्तीर्ण को ये नहीं पता कि धान का कटोरा किसको बोलते हैं.....
किसी प्राथमिक पाठशाला में भेजो इसको.....

>> महामहिम राष्ट्रपति जो भारतीय धर्म सम्प्रदाय व् जाति  का मुखौटा लगाने वालों  के कृपापात्र हैं, को  अपने शब्दों पर दृढ न रहने व् कुर्सी से चिपकने का रोग है, कृपया कोई उपचार बताएं.....

>> ये इन सत्ताधारियों के सोलहवें मार्गदर्शक हैं ९२ में शंकर दयाल शर्मा थे.....
>>  बाल गंगाधर तिलक ने सार्वजनिक गणपति उत्सव की प्रथा बंबई से प्रारम्भ  की थी.....

>> अब तो सूट छुड़ाने वाले पीरो-मौला आ गए हैं.....
एक ज्ञान तो बताइये ये पूर्व पी एम और राष्ट्रपति की काहे नहीं छुड़ाए.....
राजू : - खुद की  छूटे तो न, ए फोटो वाले.....तनिक अमरीका में दारु के साथ वाली फोटो दिखाओ तो .....

>> इन नरभक्षी पियक्कड़ दानवों के  मार्गदर्सक प्रति  पांच वर्ष में बदल जाते हैं,
एक ज्ञान तो बताइये ९२ में मार्गदर्सक कौन थे ?

राजू : -- अब उस समय कोई हो तो ज्ञान दे, तनिक अपनी पाटी का इतिहास भी पढ़  लेना चाहिए.....
>> मांस भक्षण  करके ,  गले तक चढ़ा के सब कुछ दो दो दिखता है.....दीवाली भी.....

>> नाम व् उपनाम किसी जाति व् सम्प्रदाय विशेष के  द्योतक होते हैं इन्हें धर के  इधर-उधर नहीं जाना चाहिए.....
दुनिया कहती है देखो गुजराती गौ भक्षी हो गए हैं  और गौपालक भारत क्या से क्या हो गया.....

राजू : - हाँ ! एक बात और जब ग़दर-ग़दर खेलना नहीं आता तो खेलते काहे हो.....

>> अरणों में अरण है वर्णों में है भाव । 
      शब्दों की पतवार है कागज़ की है नाव ॥ 

>> एक ज्ञान तो बताइये ये कुत्ते बिल्लियों की चाय पिता कौन था.…।  ? 

>> एक बात तो बताइये ये लोग अनशन करते थे कि गवाशन करते थे..... 

>> राजू : -- ये भी साधुसंत है  इसकी भी मत पूछो.....जात और क्या.....ज्ञान इसके पितरों से पूछ लेंगे.....
>> विद्यमान समय में विश्व को न केवल आतंक अपितु उसके समर्थकों से भी सावधान रहने की आवश्यकता है.....

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