Monday 11 February 2013

----- ।। मानवतावाद ।। -----

"ईश्वर क्या है?? एश्वर्य, धर्म, यश, श्री, ज्ञान एवं वैराग्यरूप
यह छ: गुणों का संयुग्मन ही ईश्वर है..,"

"मनुष्य कौन हैं ?? जिनके चित में  संयम, धीरज, धर्म, ज्ञान,
 विज्ञान, सदाचार,  जप,  योग (ध्यान), राग, वैराग्य  (त्याग)
 आदि विषयों का विवेक हो मनुष्य हैं..,


"प्रत्येक मनुष्य में जहाँ समान इन्द्रियाँ  एवं अंग उपकरण                  
 होते हैं वहीं एश्वर्य, धर्म, यश, श्री, ज्ञान  एवं  वैराग्यरूप ये
 छ: ईश्वरीय गुण भी समाहित होते हैं..,"

" व्यक्ति  सर्वप्रथम  एक  मानव  है मानवीय सदाचरण एवं
  पाशविक  प्रवृत्ति किसी भी  धर्म, जाति, वर्ण  आदि  के
  व्यक्ति में हो सकती है..,"

" पाश्विक प्रवृत्ति की तुलना पशु से ही की जाती है,
  मानवीय मूल्यों की तुलना महात्माओं से की जाती है..,"







2 comments:

  1. आपकी इस उत्कृष्ट प्रविष्टि कि चर्चा कल मंगलवार 12/213 को चर्चा मंच पर राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आपका वहां स्वागत है

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