Thursday 30 August 2012

-----।। ज्ञान-गंगा ।। -----

"ज्ञान रूपी धारा, विशुद्ध चरित्र के रज पर सतत प्रवाहित होती है"

 "अशुद्धता का पाषाण प्रवाह को बाँध लेता है  प्रवाहित नीर एवं ज्ञान सदैव शुद्ध रहता है"


" मनुष्य एक शक्तिशाली प्राणी है,प्रकृति के चित्रपटल पर वही
  दृश्य उभरता है जिसका वह दर्शनाभिलाषी है"


" अर्धांगनी प्राय: आयु पुछ कर आती है किन्तु मृत्यु  आयु पुछ
  कर नहीं आती"
  

 

1 comment:

  1. सुन्दरता से परिपूर्ण ज्ञान गंगा

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